...

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सफर
हा ... सच कहा तुमने ...

में ज्यादा बोलता नहीं,
में चुप रहना पसंद करता हूं...

इसलिए नहीं... कि मुझे जवाब देना नहीं आता
बल्कि इसलिए ... कि मूर्खों से बहस करना मेरी फितरत में नहीं

थक चूका हूं ... इस जिंदगी की दौड़ में भागते हुए
जहां ये पता ही नहीं ... कि जाना कहां है

कुछ रास्ते जाने पहचाने से लगते हैं ...
तो कुछ अनजाने से लगते हैं ।।

कुछ चीजे सुलझी हुई सी लगती है...