मरहूम ख्वाब
राबता-ए-उलफत के सारे पल,,हमारे दरमियां से मरहूम हो गए,
उनके फन्न-ए-मक्कारी के सारे दांव दिल को मालूम हो गए,,,
कुर्बत-ए-सोहबत-ए-यार,,मे दूरी का अंदेशा था हमें,,
वफा की बात पर,,यार के किरदार से वफा के अक्स मादूम...
उनके फन्न-ए-मक्कारी के सारे दांव दिल को मालूम हो गए,,,
कुर्बत-ए-सोहबत-ए-यार,,मे दूरी का अंदेशा था हमें,,
वफा की बात पर,,यार के किरदार से वफा के अक्स मादूम...