...

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पापा की मुस्कान
ज़िन्दगी के हर पहलू से गुज़र चुका हूँ
पापा के लड़खड़ाते कदमों का सहारा बन चुका हूँ
अकेले बैठ खुद से उलझ जाता हूँ
पापा को रोते देख खुद को सिमेट लेता हूँ
सुबह का उजाला और रात का अँधेरा
ढूँढता हूँ इन पलों में पापा का खिलता चेहरा
मायूस पड़ जाता हूँ इन राहो में अक़्सर
पर ख़ुशी मिल जाती पापा की मुस्कान का कारण बनकर