...

4 views

सलीका अदब का
अदब भी आदमी को चाय में शक्कर की तरह दो
जिसे ज़रूरत है जितने की,उससे ज्यादा भी ना हो

जरा जो कम हुआ तो मिलने में मज़ा ही ना आए
हुआ जो ज़्यादा तो ,गुरूर फिर सर पे चढ़ जाए

लिहाज़ भी है ज़रूरी ,वो भी मग़र सबका नहीं होता
जो परदे की हदें समझे उसीसे परदा रखो

कमर झुक जाएगी जो हर एक का सज़दा करोगे
कमर सीधी रखो और सर हमेशा ऊँचा रखो

किसी का भी कद़ उससे बड़ा हो नहीं सकता
जो झुकना ही है तो ,बस उस ख़ुदा के आगे झुको
© बदनाम कलमकार
#वरुणपाश #yourquote #yqwriter #yqbaba #yqdidi