सलीका अदब का
अदब भी आदमी को चाय में शक्कर की तरह दो
जिसे ज़रूरत है जितने की,उससे ज्यादा भी ना हो
जरा जो कम हुआ तो मिलने में मज़ा ही ना आए
हुआ जो ज़्यादा तो ,गुरूर फिर सर पे चढ़ जाए
लिहाज़ भी...
जिसे ज़रूरत है जितने की,उससे ज्यादा भी ना हो
जरा जो कम हुआ तो मिलने में मज़ा ही ना आए
हुआ जो ज़्यादा तो ,गुरूर फिर सर पे चढ़ जाए
लिहाज़ भी...