...

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थोड़ा सा


हर वक़्त किसी और की हूँ,
कभी बेटी, बहन तो किसी की दोस्त,
अपने वक़्त पर अपना हक़ होकर
भी ना होने सा ही लगता है,
खुद की जिंदगी की पिक्चर,
थोड़ी धुंधली सी हो उठी है,
इसलिए आज से थोड़ा बदल रही हूँ,
थोड़ी खुदगर्ज मैं भी हो रही हूँ,
बदलाव...