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अहसास
एक प्रतिक्रियात्मक कविता..

याद नहीं कब किस दिन
उसके बाग से खिले जुड़े में
मैंने गुलाब सुर्ख रोपा था,

उसे याद है तो जरूर
सपने में ही सही
उसे रेशमी अहसास ने
यादों में भिगोया होगा,

वही पहली मुलाकात थी
शायद जान यह ...