मोहब्बत थी ही नहीं।
आसमां तक वो उड़ता कैसे
जिसके पैरों के नीचे ज़मीं थी ही नहीं।
इसलिए बातें इश्क़ की हमनें उनसे
कभी की ही नहीं।
हम जानते थे हमारी लकीरों में
मोहब्बत थी ही नहीं।
© वरदान
जिसके पैरों के नीचे ज़मीं थी ही नहीं।
इसलिए बातें इश्क़ की हमनें उनसे
कभी की ही नहीं।
हम जानते थे हमारी लकीरों में
मोहब्बत थी ही नहीं।
© वरदान
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