...

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परिश्रम
है बड़े बड़ों का कहा हुआ,
पुस्तकों में भी है गहा हुआ।
नर वह जो परिश्रम करता है,
विपत्ति से कभी न डरता है।
जीवन है उसी का सफल हुआ,
जो डरा नहीं यदि विफल हुआ।
सूरमाओं की है यही कथा,
कब उन्हें हिला सकी है व्यथा।
नर है वो हुआ कभी बड़ा नही,
विपत्ति से कभी जो लड़ा नही।
जो करे परिश्रम अग्रणी हो,
न कभी किसी का वह ऋणी हो।
सच है कि जतन जहाँ होता है,
मानव का पतन कहाँ होता है।
हाँ किन्तु उपयुक्त दिशा में हुआ,
परिश्रम भी अति आवश्यक है।
जो किया इसे तो नियति भी,
समक्ष झुकाती मस्तक है।
© metaphor muse twinkle