परछाई..
अंधेरी गलियों में भटक रहा था.अनि़शिचता में चल रहा था दिल ना जाने क्यूं बेचैन सा था शायद अकेलेपन से डर रहा था तभी कुछ दूर रोशनी सी आयी.अंधेरे को देख परछाई मुस्कुरायीलगा जैसे कुछ कह रही होअपने...