...

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कागज़ जनता है
काग़ज़ जानता है,
कलम का वो जवान है
अक्षरों से बसा जगत,
ख्वाहिशों का आसमान है

काग़ज़ जानता है दर्द,
बातें जो दिल की होती हैं बेजुबान
रिश्तों के मायने हैं यहाँ,
वफ़ादारी की बुनियाद है ईमान

कलम के ज़रिए खुलता है जहाँ,
बेहतर दुनिया का दरवाज़ा है यहाँ
कविताओं की धूप में है सुकून,
आँखों में बसा सपनों का जहां

उसमें दर्द है, हंसी है, ख़ुशियाँ और गम,
सबकुछ यहाँ है, चाहे आँख है नम
काग़ज़ के रंगों से भरी, ज़िन्दगी है जैसे खूबसूरत तस्वीर,
हर एक हर्फ़ इसका जागीर से नहीं कम

काग़ज़ जानता है सच को,
झूठ को भी पहचानता है वो
जब बदल जाते हैं हालात,
काग़ज़ के आँचल में सुकून मिलता है सबको

जब भी थक जाती है ज़िन्दगी,
काग़ज़ की बाँहों में मिलता है आराम
कविता के सफर पर ले जाता है ये,
उन अनगिनत ख्वाहिशों को कहाँ मिलता है विराम

ये शब्द बनते हैं आशा के पुल,
काग़ज़ का ये सफ़र है
हर व्यक्ति की भावना को जानता है वह,
काग़ज़ की ये ख़ासियत है

ज़िंदगी के हर पहलू को दिखाएगा काग़ज़,
हर गलती को करेगा सही
भावनाओं का ये अनंत सफ़र,
काग़ज पर जारी रहेगा ऐसे ही

© Poonam Suyal