...

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" ऐ फ़रिश्ते "
" ऐ फ़रिश्ते "

जब चारों ओर फैली हुई थी अंधियारे की घटाएँ..
मेरी नाव फंसी थी किसी उद्दंड नदिया के बीच मझधार के भंवर में..
ऊलझनों के चौराहे पर खुद को उलझा हुआ पाया..

किस ओर कदम बढ़ाएं हमें कुछ समझ में न आया..?
फ़िक्र की चादर तान अंधेरी रात में मेरा दिल बेइंतहा घबराया..
टूटी आस मेरी दूर तलक भटकती तन्हाई में..
एक दिन रोशनी की लौ लिए कोई फ़रिश्ता मुझ से कुछ ऐसे टकराया..
देख उन्हें मेरा दिल बहुत घबराया छटपटाया..!

जाने कौन है..?
जाने क्यूँ वो मेरी तरफ़ आया..?
जब कहा उसने मुझसे कि डरो नहीं मैं तो तुम्हारी मदद करने के मक़सद से यहाँ हूँ आया..!

तुम्हारे जीवन से अंधकार मिटा कर रौशनी से जगमग करने आया..
तुम्हारी सारी की सारी कठिनाइयों को दूर कर, मैं तुम्हारे जीवन में खुशियाँ देने आया..
यक़ीन मानो मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए आया..!

तुम्हारे आने से मेरा परिचय जैसे खुद से हो गया है..
बेरंग एवं तन्हा जिन्दगी में मुझे जीने का मक़सद जैसे मिल गया है..!

नहीं कोई शब्दों की कुंजी मेरे पास आज तक कि किन लफ़्ज़ों में करूँ
मैं शुक्रिया अदा, ऐ फरिश्ते..!

🥀 teres@lways 🥀

Dedicated to 'Special Angel'
🌹🌹 🙏🏻🌹🌹