...

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कब तक..??
गलती अहिल्या की नही थी
फिर भी सदियों पाषाण थी वो,
गलती सिर्फ राधा की नहीं थी
फिर भी आंसुओं को बांध ली थी वो,
गलती सीता की नहीं थी
फिर भी अग्निपरीक्षा और
परितज्यता से गुजरी थी वो,
और हम सब यह देखते रहें
बुत बने सत्य को आंखे मूंद
कब तक चलेगा यही सब
कब तक .......???
© Madhumita Mani Tripathi