...

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महामारी से सीख
आ गई महामारी है
करती सबको परेशान
निर्बल करते हाय हाय
और विषाणु से लड़ने वाले है महान

जो करते है हाय हाय
वह मृत्यु से भयभीत अत्यंत है
जानते हैं पर मानते नहीं
एक दिन होना सबका अंत है

जो युद्ध विषाणु से करते हैं
वह स्वयं को मानते जीने योग्य है
कुछ वास्तव में जीना चाहते है
और कुछ मानते अपना दुर्भाग्य है

जो वास्तव में जीना चाहते है
वह विचार निरंतर करते हैं
कभी नकारात्मक कभी सकारात्मक
पर मृत्यु से कभी न डरते हैं

जो मानते अपना दुर्भाग्य है
वह मृत्यु का भय अनंत रखते हैं
कोई भविष्य योजना हो न हो,
जीने की इच्छा फिर भी रखते है

ईश्वर परीक्षा लेंगे
ये जाननेवाले लोग हैं हम
परंतु जब परीक्षा का समय आए
यह माननेवाले हो जाते कम

मेरा विचार इस विषय में
की ईश्वर की मनोस्थिति क्या होगी?
वह देखना बस ये चाहते हैं
कि हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी ?

करके जीवन को अस्थिर वह सीखाना यह
चाहते है कि व्यर्थ की चिंताएँ छोड़ो तुम
करके विश्वास मुझपर
अपना ध्यान कर्म की ओर मोड़ो तुम।

© Harshit Kumar