...

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दुनियादारी
लौ भरी जेठ दोपहारी में
जिनको लहराते देखा है,
सावन की सरल फुहारों में,
पत्ते मुररझाते देखा है।

गिरिजाघर में, गुरुद्वारों में,
घंटाघर की टंकारो में,
फिर मंदिर की झंकारों में,
बस नियति देखने वालों को,
चप्पल सरकाते देखा है।
लौ भरी......

मिट्टी से ईंट पकाने तक ,
ईंटो से महल बनाने तक,...