...

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बेटी
#ओ  मेरी  प्यारी  बेटी  कैसी  हो  तुम?
ससुराल के घरौंदे में क्या ख़ुश हो तुम?
जानना चाहा  हर  बार बेटी  तुम्हें पर,
मुस्कुराकर हर बार बोल देती हो  तुम।

कि मेरे अप्पा मन में नहीं हैं कोई दर्द,
जीना तो मैंने आपसे ही सिखा है।
रिश्तों को सजाना, घर को घरौंदा बनाना,
बेटी हूँ आपकी अप्पा, हमेशा नाज़ करना।

नाज़ तो हर माँ बाप की होती है बेटियाँ,
परायी नहीं हो, रीत की बंदिशों में बधी तुम।
हाँ जानती हूँ अप्पा, रहती हूँ साथ आपके,
सुनो अप्पा गुज़ारिश यही करती है बेटियाँ।

कि कभी रोना नहीं अप्पा, याद कर बेटियों को,
वरना बेटियाँ भी रोती रहेगी ससुराल के घरौंदे में।
बहुत याद आती हो बेटी, ड्योढ़ी मेरी सुनी सुनी,
ओ मेरी प्यारी बेटी बताओं ज़रा कैसी  हो  तुम?

#मनःश्री
© Shandilya 'स्पर्श'