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माया का बाजार
बाहर सब झूठा ही झूठा,माया का बाज़ार
जो सच दिखता है आँखों से,सब झूठा बेकार।।
मन मेरा माया के बस में,झूठी राह दिखता है।
राम नाम से दूर कर रहा,मानव को भटकाता है।

एक है कुंजी जिससे होगा भटकन से निस्तार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।

नाटक का जग मंच सिर्फ और निर्देशक भगवान।
नाटक को सच मान के बैठे,हम जैसे इंसान।
रुपया-पैसा रिश्ते-नाते चीज सभी बेमोल।
यह शरीर तक है नश्वर,क्यों पीटे फूटा ढोल।

एक चीज सच्चा केवल बस उसका करो विचार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।


जग माया का मंचन जिसको तूु मंचित करता है।
फिर किससे तू करे प्यार और किससे तू लड़ता है?
जो भी तूु कह्ता है प्यारे,जो भी तू करता है।
सारा भला-बुरा सब कुछ,माया का रचा हुआ है।

छुपा हुआ है सत्य झूठ का फैला है बाज़ार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।

कृष्ण नाम कलियुग का तारक,राम नाम उद्धारक
हरि मुझे बस शरणागति दो,माया तुम्हें मुबारक।
माया जन्मी प्रभू आपसे सुनिए हे प्रतिपालक।
ज्ञान चक्छु अब मेरा खोलिये,विनय कर रहा बालक।

ज्ञान मात्र से कर सकते हम माया का प्रतिकार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।

"कौशल" कहता बात पते की मानो या ना मानो
बचो जगत के फेर से,ठगनी माया को पहचानो।
राम नाम के अमृत का जग मे करिये विस्तार।
कलियुग में उद्धार का केवल राम नाम आधार।

राम नाम के अमिट मंत्र का जग मे करो प्रचार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।
-✍️ कौशल किशोर सिंह
© Kaushal