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माया का बाजार
बाहर सब झूठा ही झूठा,माया का बाज़ार
जो सच दिखता है आँखों से,सब झूठा बेकार।।
मन मेरा माया के बस में,झूठी राह दिखता है।
राम नाम से दूर कर रहा,मानव को भटकाता है।

एक है कुंजी जिससे होगा भटकन से निस्तार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।

नाटक का जग मंच सिर्फ और निर्देशक भगवान।
नाटक को सच मान के बैठे,हम जैसे इंसान।
रुपया-पैसा रिश्ते-नाते चीज सभी बेमोल।
यह शरीर तक है नश्वर,क्यों पीटे फूटा ढोल।

एक चीज सच्चा केवल बस उसका करो विचार।
राम नाम का जाप करो तो होगा बेरा पार।


जग माया का मंचन जिसको...