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नफ़रत - "एक ज़हर"
नफ़रत उस ज़हर का नाम है,जो कभी घटता नहीं;
एक बार फैल जाए,तो वो दोबारा मिटता नहीं;
यह कोई बिमारी नहीं, पर जान ले सकती है;
अटूट पुराने रिश्तों को भी बिगाड़ सकती है;
नफ़रत से रिश्तों में वो दूरी आ जाती है;
जो अपनो को भी अंजान बना देती है;
ना ही इसका कोई इलाज़ और ना ही कोई दवा है;
बस प्यार के एहसास से ही इसको मिटाया जा सकता है;

कहीं इंसानों में दिखता है तो कहीं दो मुल्कों में ;
पर हर जगह आखिर एक लकीर खींच जाता है;
यह वो लकीर है जो दुश्मनी पैदा करता है;
अंत में ढेर सारे चोट दे जाता है;

सवाल है कि ये नफ़रत की बीमारी कैसे फैलता है;
तो जवाब में हम जैसे इंसानों का ही नाम आता है;
ये वही कुछ लोग है जो व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए;
भिन्न विषयो के आधार पर नफ़रत को जन्म देता है;
यही नफ़रत दुश्मनी का आगमन करता है;
और यही दुश्मनी से इस समाज का विनाश होता है;
महापुरुष कह गए है एक शिछित समाज का निर्माण करो, विनाश नहीं;
इसीलिए मै कहता हूं नफ़रत को भगाओ,प्यार को नहीं।
© anirban