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भारत के रंग और बातें
यहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
कर्न ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवानी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reservedयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reserयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reservedयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reservedvedयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

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© All Rights Reservedयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reserयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

Nina Rajora


© All Rights Reservedयहाँ न कोई हिन्दु न कोई मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हैं।
यहाँ हर एक नर में भगत सिंह
हर नारी लक्षमी बाई है।
जहाँ कुरूक्षेत्र मिट्टी की लाली
वीरो की गाथा गाती है।
वहीं अमृतसर जलि़यां बाग कहानी
शत्रु की कायरता बतलाती है ।
आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप
भारतखंड कहलाता हूँ
मैं देश नही एक आत्मा हूँ
जन गण में जीवन पाता हूँ।
यमुना, रामगंगा,घाघरा,गंडक,कोसी,महानदी
ओर सोन नदी में बहता हूँ।
हिंद,अरब,बंगाल की खाडी़ मेरा मान बढा़ते हैं
ताज बनकर खडा हिमालय राजा मुझे बनाते हैं।
वेद,कूरान,पुरान यहॉं ओर ग्रंथ पढा़ए जातें हैं
यहां शिश कटाकर वन में जाकर वचन निभाए जातें हैं।
बद्रीनाथ,द्वारका,जगन्नाथ पूरी,और रामेश्वरम
चार धाम कहलाते हैं
यहॉं गाय को भी माता कहकर
श्रदा में शिश निवांतें हैं ।
घेवर,साग,लस्सी दा गिलास और छप्पन भोग
की थाली है
यहॉं बसते बर्मा,विषनु,महेश,मॉं लक्षमी सरस्वती काली है।
शतरंज, कब्बडी,तीरअंदाजी,कुशती का यहॉं जन्म हुआ
अरजून ने गुरू दरूणा को दिक्षा में काट अंगूट दिया।
धरती की छाती चीर कर यहॉं हल चलाएं जाते
है
किसानो की क्षम की अगनी में सोने उगाए जाते है ।
यहॉं वीर जवान तिरंगे पर सब गर्व से जान लूटाते हैं
हम गर्व से ही सवीकार करे जब इसमें लिपटे आते हैं।
यहॉं तीज त्योहार निराले है रिशतों की डोर रंगीली है
होली है रंगो की बरसात जलते दिए की दिवाली है।
यहॉं शर्म कर्म और धर्म भी है
घूंघट में शिक्षक नारी है
यहॉं बेटा मॉं का राजा है और बेटी राजकूमारी है।
यहॉं भीमा का संघर्स भी है
हीर रांझे की प्रेम कहानी भी।
यहॉं राधा का हॉं त्याग भी है
और मीरा दीवनी भी।
देकर जीरो भारत ने दुनियां को गिनती तब आई
धरती से दुरी चॉंद की एक नई उमीद जगाई।
भारत ही ऐसा देश है जिसका कुदरत में भी तिरंगा है
यहॉं मॉं यमुना, मॉं सरस्वती,मॉं शरयु और मॉं गंगा है।

जय हिन्द

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