मिरात।
यह क्या सितम हैं,के उदासी अब मुझे उम्रभर सताएगी!
वह शख्सियत नहीं आएगी,यानी अब उसकी याद आएगी।
ढूंढ़ो उस मुफ़लिस को, के सज़ा फरमानी हैं मुझे उसे,
मैं रुका रहा धूप में यह सुनकर के आज बरसात आएगी।
कमाल हैं तुम भी हो मेरे जैसे सुबह की रोशनी से डरते हो,...
वह शख्सियत नहीं आएगी,यानी अब उसकी याद आएगी।
ढूंढ़ो उस मुफ़लिस को, के सज़ा फरमानी हैं मुझे उसे,
मैं रुका रहा धूप में यह सुनकर के आज बरसात आएगी।
कमाल हैं तुम भी हो मेरे जैसे सुबह की रोशनी से डरते हो,...