...

15 views

बुलन्द हमें....💔💔✍️✍️ (गजल)
💔💔
कौन करेगा जहां में पसंद हमें
मिलती नहीं खुशियां चन्द हमें

जहां न पहुंचे लोगों की आवाज
ऐसी जगह पर कर दो बन्द हमें

मैं अपने गम में हंसता हूं 'सत्या'
बहुत मिलता है जैसे आनंद हमें

वो क्या मेरी वफ़ा पे यकीं करता
जो हर बार देता रहा सौगंध हमें

लोग दौड़कर गुजर गये इश्क में
रोशनी मिली राहों में मन्द हमें

दो पल गुजार लूं मैं अपने साथ
छोड़ दो कुछ पल स्वच्छंद हमें

चाहे कितने भी आ जायें तूफां
हौसले तो रखने हैं बुलन्द हमें

देखकर के बेवफाई जमाने की
इश्क ने कर दिया निस्पंद हमें
💔💔


निस्पंद - स्तब्ध, जिसमें कोई कंपन
या हरकत न हो ।
स्वच्छंद -स्व इच्छानुकूल आचरण करने वाला,
मनमाना ।

© Shaayar Satya