...

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क्या आज फ़िर????
क्या आज फ़िर कुछ वक़्त मेरे साथ बिताओगे
क्या जो सारी हदें है, वो तोड़ के आओगे
क्या वो जो कभी ना टूटे ऐसा रिश्ता निभाओगे
क्या मेरे उलझे हुए ख्वाबों को फिरसे, सवारोगे
क्या मेरे बिखरे हुए लम्हों को, सजाओगे
क्या मेरे खोये हुए अरमानो को ढुंढ कर लाओगे,
मेरे दिल में जो आग लगी है, उसे बुजाओगे,
मेरे उदास चेहरे पर, हँसी लाओगे,
तुम्हारा हक़ मुझपे जताओगे,
तुम मुझसे आज फिर मिलने आओगे,
क्या आज फिर कुछ वक़्त मेरे साथ बिताओगे.......
© Kashish Chandnani