वीरता की झलक
रात्रि बीतने को हो आई थी।
ऊपर तारे अब भी टिमटिमा रहे थे,
चाँदनी अपनी छटा समेट जाने की ताक में थी,
मगर मैं, अब भी वहीं स्तब्ध खड़ा
साक्षी बन रहा था बीती रात का।
सफ़ेद बर्फ की चादर के लहूलूहान होने का।
रात्रि का तीसरा पहर था वो,
दोनों और से लगातार होती गोलीबारी,
सन्नाटे को चीरती प्रतीत होती थी।
कायरों ने आज फिर छुपकर
आघात किया था।
निहत्थे, सोये सैनिकों पर,
गोलियों की बौछार से, उनकी चीखों
से पूरा आसमाँ गूँज उठा।
देशभक्ति का ऐसा जूनून,
वीरता,...
ऊपर तारे अब भी टिमटिमा रहे थे,
चाँदनी अपनी छटा समेट जाने की ताक में थी,
मगर मैं, अब भी वहीं स्तब्ध खड़ा
साक्षी बन रहा था बीती रात का।
सफ़ेद बर्फ की चादर के लहूलूहान होने का।
रात्रि का तीसरा पहर था वो,
दोनों और से लगातार होती गोलीबारी,
सन्नाटे को चीरती प्रतीत होती थी।
कायरों ने आज फिर छुपकर
आघात किया था।
निहत्थे, सोये सैनिकों पर,
गोलियों की बौछार से, उनकी चीखों
से पूरा आसमाँ गूँज उठा।
देशभक्ति का ऐसा जूनून,
वीरता,...