ख्वाहिशें 😘
कभी एक ख्वाहिश थी मेरी कि अकेला नहीं
इस जगह मैं तुम्हारे साथ जा सकू
चेहरे पर आती तुम्हारी जुल्फों को सवारू
और कानों के पीछे उनको
अपने हाथों से सटा सकू
उबलती गर्म कुल्हड़ वाली चाय को
मैं फूंक मार कर ठंडा करू और
तुम्हे अपने हाथो से पिला सकू
कलाकारी...
इस जगह मैं तुम्हारे साथ जा सकू
चेहरे पर आती तुम्हारी जुल्फों को सवारू
और कानों के पीछे उनको
अपने हाथों से सटा सकू
उबलती गर्म कुल्हड़ वाली चाय को
मैं फूंक मार कर ठंडा करू और
तुम्हे अपने हाथो से पिला सकू
कलाकारी...