प्रेम:
अभी तक ना रामचरितमानस पढ़ी, ना भागवत गीता का एक भी पन्ना,
जागरूकता की सीमा से अधिक आपके त्याग को जाना है मैने प्रभु ,
जिसे ना आभूषण, ना अमृत रास आया वो कहलाये मेरे भोलेनाथ,
और जिसे अपने कुल का नाश भी, परिवार की दूरिया भी सह कर हमेशा दूसरों के कल्याण और धर्म स्थापना के लिए ना जाने कितने त्याग किए...वो कहलाये मेरे बांके बिहारी श्री हरि....
ना जाने लोगों को कब समझ आएगा की मोक्ष की प्राप्ति से भी बड़ा है वो केवल ईश्वरीय प्रेम है
आत्मा की शांति, स्थिरता और सुरक्षा केवल प्रभु की आस्था में है...
तो क्या...
जागरूकता की सीमा से अधिक आपके त्याग को जाना है मैने प्रभु ,
जिसे ना आभूषण, ना अमृत रास आया वो कहलाये मेरे भोलेनाथ,
और जिसे अपने कुल का नाश भी, परिवार की दूरिया भी सह कर हमेशा दूसरों के कल्याण और धर्म स्थापना के लिए ना जाने कितने त्याग किए...वो कहलाये मेरे बांके बिहारी श्री हरि....
ना जाने लोगों को कब समझ आएगा की मोक्ष की प्राप्ति से भी बड़ा है वो केवल ईश्वरीय प्रेम है
आत्मा की शांति, स्थिरता और सुरक्षा केवल प्रभु की आस्था में है...
तो क्या...