...

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" ज़ोर "
ये जो तेरी बातों में थोड़ा सा, ज़बर ज़ोर आया है ...
जाने क्यों मोहब्बत को मेरी, कर कमज़ोर आया है !!

अल्फाज़ ए अलगाव सुन, कानों में न सुरुर आया है ...
बहने लगे हैं अश्क ! समंदर में छेड़, तूफ़ान कोई पुरज़ोर आया है !!

ये जो तेरी बातों में थोड़ा सा, ज़बर ज़ोर आया है ...!! २ !!

कैसी ये विपदा तूने, अपने इस मुरीद पर ढ़ाई ...
इक पल को दे मिलन, दुजे क्यों छेड़ी जुदाई !!
कैसा ये कहर ढाया ! क्यों बनके यूं कठोर आया है ...
जाने क्यों मोहब्बत को मेरी, कर कमज़ोर आया है !!

ये जो तेरी बातों में थोड़ा सा, ज़बर ज़ोर आया है ...!! २ !!

थिरकती थी अदाएं तेरी ! दिल की ज़मीन पर ...
डरता था की ! लग न जाए, किसी की नज़र !!
नज़रें मिलाके ! बातें सुनाने, क्यों ये मोर आया है ...
सावन को भिगो ! दिल लौटाने, दिल का ही चोर आया है !!

ये जो तेरी बातों में थोड़ा सा, ज़बर ज़ोर आया है ...
जाने क्यों मोहब्बत को मेरी, कर कमज़ोर आया है !! २ !!

सुखविंदर ✍️🌄✍️
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© Sukhwinder

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