...

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ज़िंदगी
बहुत तनाव हो गया है ज़िंदगी में मैं अब सब्र चाहती हूँ
तुम मिल लो मुझसे एक रोज़ मैं अब आजाद होना चाहती हूँ
रखकर तुम्हारी यादें दिल में फिर बहुत दूर जाना चाहती हूँ
मौत आयेगी यकीनन एक दफ़ा ज़िंदगी को जी लेना चाहती हूँ
© बावरामन " शाख"