...

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हमारी हिन्दी
हिन्दी मात्र भाषा नहीं, हिन्द की है पहचान
जन-जन में व्यापित हुयी, जैसे तन में प्राण।

सदियों-सदियों का रहा, है इसका इतिहास
युगों-युगों तक रहेगा, इसका अमिट प्रकाश।

शुगम, सुसंस्कृत, साहित्यिक, रचनाओं का सार
सहज-सरल सह सरश भी, शब्दों का है भण्डार।

स्वर-व्यंजन व बारहखड़ी, व्याकरण के विधान
सुदृढ़ एवं सुपरिभाषित है, हिन्दी भाषा-विज्ञान।

पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण,  राष्ट्र बाँधती डोर
राष्ट्रभाषा सम्मान का, प्रण लें कठिन कठोर।

हम हिन्दू, हिन्दी हृदय है, हिन्दुस्तानी है नाम
राष्ट्रभाषा को कीजिये, बारमबार प्रणाम।।

-भूषण