हमारी हिन्दी
हिन्दी मात्र भाषा नहीं, हिन्द की है पहचान
जन-जन में व्यापित हुयी, जैसे तन में प्राण।
सदियों-सदियों का रहा, है इसका इतिहास
युगों-युगों तक रहेगा, इसका अमिट प्रकाश।
शुगम, सुसंस्कृत, साहित्यिक, रचनाओं का सार...
जन-जन में व्यापित हुयी, जैसे तन में प्राण।
सदियों-सदियों का रहा, है इसका इतिहास
युगों-युगों तक रहेगा, इसका अमिट प्रकाश।
शुगम, सुसंस्कृत, साहित्यिक, रचनाओं का सार...