अब कुछ रहा ही नहीं ‘’
अब कुछ रहा ही नहीं ।
चुप पड़ गए लब्ज़,साँसो ने कुछ कहा ही नहीं ।।
क्या बताऊ सर से पाव तक भर गया ,
इतना तो किसी ने सहा ही नहीं ।।
हर बार छलककि रह गया ।
बड़ी कोसिस की दर्द बहा ही नहीं ।।
जब उजड़ गई बस्तियों...
चुप पड़ गए लब्ज़,साँसो ने कुछ कहा ही नहीं ।।
क्या बताऊ सर से पाव तक भर गया ,
इतना तो किसी ने सहा ही नहीं ।।
हर बार छलककि रह गया ।
बड़ी कोसिस की दर्द बहा ही नहीं ।।
जब उजड़ गई बस्तियों...