...

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पहाड़ों के पीछे वाली दुनिया
मैं तेरे लिए qais से मजनू बना लैला,
तेरे इश्क के फितूर में फना हुआ लैला,
अगर इतनी ही ना-क़ाबिल-ए-हुसूल थी तुम लैला ,
मुख्तलिफ राहों में चलना था हमें लैला।।