बचपन
जब हम बच्चे थे
दिल के बड़े सच्चे थे।
बिल्कुल भी बुरे ना थे
अच्छे ही अच्छे थे।
नङ्गे बदन घूमते थे
लाड़ से सभी चूमते थे।
जीत में ना हार में
धूल के गुबार में ,
दिन भर रच्चे थे।
ना कोई काम था
बस आराम...
दिल के बड़े सच्चे थे।
बिल्कुल भी बुरे ना थे
अच्छे ही अच्छे थे।
नङ्गे बदन घूमते थे
लाड़ से सभी चूमते थे।
जीत में ना हार में
धूल के गुबार में ,
दिन भर रच्चे थे।
ना कोई काम था
बस आराम...