...

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सफर सिफ़र।
सफर सिफ़र होने को है
गम कहाँ गुम होने को है
सब शिकवा गिला,
हयात जन्नत सी
धुँआ धुँआ होने को है
वक्त का यह सिलसिला है
चल रहा अनवरत
रख सब अब कगार पर
कश्ती कगार पहुँचने को है।।
हर पल जन्नत सजा रहा है
चौखट और चौराहे पर,
सिर,आँखों पर हमने रखा है
हर...