जब तक
वफ़ा ईनाम हैं मोहब्बत के सिले का मगर वफ़ा सदा किसी का अधिकार नहीं होती,
अब टूटे तीर भी पासा पलट सकते हैं,हर बार ही मिर्ज़े की हार नहीं होती,
ये इंतिहा हैं अंधभक्ति की,आंखों से देखकर भी सचाई जो स्वीकार नहीं होती,
हक मांगने पर मिलती आई हैं सलाखें,बगावत सही मानने वाली कोई सरकार नहीं होती,
खुलती नहीं हैं आंख सत्ता की जब तलक हादसों में कितनों की जान वार नहीं होती,
करते रहेंगे वो धर्म के नाम पर नफ़रत का धंधा जब तक जनता सारी बीमार नहीं होती,
बुरे दौर से हम लड़ते रहेंगे 'ताज' जब तक मुश्किलों की हार नहीं होती।
© taj
अब टूटे तीर भी पासा पलट सकते हैं,हर बार ही मिर्ज़े की हार नहीं होती,
ये इंतिहा हैं अंधभक्ति की,आंखों से देखकर भी सचाई जो स्वीकार नहीं होती,
हक मांगने पर मिलती आई हैं सलाखें,बगावत सही मानने वाली कोई सरकार नहीं होती,
खुलती नहीं हैं आंख सत्ता की जब तलक हादसों में कितनों की जान वार नहीं होती,
करते रहेंगे वो धर्म के नाम पर नफ़रत का धंधा जब तक जनता सारी बीमार नहीं होती,
बुरे दौर से हम लड़ते रहेंगे 'ताज' जब तक मुश्किलों की हार नहीं होती।
© taj