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शांति लिखता हूं।
भावना पर युगों के प्रतिबंध किंचित नहीं घबराता हूं।
शब्द हूं मैं सिसकती सांसो पर तृप्तित शांति लिखता हूं।
मौन हो चुके अधरों पर मैं संवाद लिखता हूं।
हां हूं मैं अंश उस ईश्वर का
आंचल पर धरती के मैं आसमान लिखता हूं।
© All Rights Reserved
शब्द हूं मैं सिसकती सांसो पर तृप्तित शांति लिखता हूं।
मौन हो चुके अधरों पर मैं संवाद लिखता हूं।
हां हूं मैं अंश उस ईश्वर का
आंचल पर धरती के मैं आसमान लिखता हूं।
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