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परछाई
मेरी जेहन में छपी तेरी परछाई
एक वजूद और कशिश कि तन्हाई।
मन कि मुरादों से भरी बंदिश हुई
सिमटती संगीत के सुरों कि परछाई।
क्या कहे इन रिश्तों कि धागों को
हर पल तुझे देखता और समा जाता हूं।
निराली मन कि सुंदर भावना तू है
तेरे दिल में बसे हम तो शायर है।
© SripadAlgudkar ಕಾವ್ಯಶ್ರೀ
एक वजूद और कशिश कि तन्हाई।
मन कि मुरादों से भरी बंदिश हुई
सिमटती संगीत के सुरों कि परछाई।
क्या कहे इन रिश्तों कि धागों को
हर पल तुझे देखता और समा जाता हूं।
निराली मन कि सुंदर भावना तू है
तेरे दिल में बसे हम तो शायर है।
© SripadAlgudkar ಕಾವ್ಯಶ್ರೀ
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