30 views
दिन नया निकलता है....
क्षितिज पर सूरज अपनी लाली बिखेर जाता है,
निराशा भरी काली अंधेरी रात छट जाता है।
नयी उम्मीदें ,नयी खुशियाँ, नया बहार, नया जोश
संग अपने लेकर दिन नया निकल आता है।
कलियाँ खिलखिलाने और फूल मुस्कुराने लगते हैं,
पक्षी सारे चहचहाने और पशु इतराने लगते हैं।
कोयल काली मधुर - मधुर गीत सुनाती,
अपनी मीठी -मीठी आवाज से सबको लुभाती।
मदमस्त सुगंधित ठंडी -ठंडी हवाओं का झोंका चलता,
नदियों का शीतल जल कलकल करते हुए बहता।
आलस्य त्याग सब लग जाते अपने -अपने काम पर,
किसी का तनिक भी ध्यान लगता नहीं फिर आराम पर।
अपनी -अपनी मंजिल पाने के सफर पर चल देते सारे,
पाकर सफलता और कामयाबी बन जाते हैं सबके प्यारे।
क्षितिज पर सूरज अपनी लाली बिखेर जाता है,
निराशा भरी काली अंधेरी रात छट जाता है।
— Arti Kumari Athghara (Moon)✍✍
© All Rights Reserved
निराशा भरी काली अंधेरी रात छट जाता है।
नयी उम्मीदें ,नयी खुशियाँ, नया बहार, नया जोश
संग अपने लेकर दिन नया निकल आता है।
कलियाँ खिलखिलाने और फूल मुस्कुराने लगते हैं,
पक्षी सारे चहचहाने और पशु इतराने लगते हैं।
कोयल काली मधुर - मधुर गीत सुनाती,
अपनी मीठी -मीठी आवाज से सबको लुभाती।
मदमस्त सुगंधित ठंडी -ठंडी हवाओं का झोंका चलता,
नदियों का शीतल जल कलकल करते हुए बहता।
आलस्य त्याग सब लग जाते अपने -अपने काम पर,
किसी का तनिक भी ध्यान लगता नहीं फिर आराम पर।
अपनी -अपनी मंजिल पाने के सफर पर चल देते सारे,
पाकर सफलता और कामयाबी बन जाते हैं सबके प्यारे।
क्षितिज पर सूरज अपनी लाली बिखेर जाता है,
निराशा भरी काली अंधेरी रात छट जाता है।
— Arti Kumari Athghara (Moon)✍✍
© All Rights Reserved
Related Stories
24 Likes
9
Comments
24 Likes
9
Comments