...

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हवस की हवा
चारो तरफ से हवस की हवा चल रही है
आख़री दिल ये प्यार का पैग़ाम दे तो दे कैसे?

पीले सुखे पतों की तरह सुलझ रहा है,
आखिर वो ख्वाब जीने के देखे तो देखे कैसे?

हंसता है चांद रात के अंधेरे पर ,
आख़री कोई एकांत रहे तो रहे कैसे?

श्रृंगार पाया है जो गुलमोहर ऐसे बेवफा मौसम में
आख़री एतबार वो किरणों पर करे तो करे कैसे ?

ढुंढ रहा एक भाव निर्मल निश्छल पाक नजर को
आखिर यहां "सुनि" को दोस्त बनाने कहे तो कहे कैसे?




© Sunita barnwal