...

4 views

एक घना जंगल सा है..
वह एक घना जंगल सा है
छोटे बड़े, सूखे ताज़े कई पेड़ पौधें है
कुछ बेल भी लटकती है लेकर सहारा
किसी के टहनियों में घोंसले बसे है
किसी की टहनियां टूट रही है
जड़े कहीं बहुत अंदर तक है
कहीं घुमकर बाहर आ रही है
मिट्टी के वजूद को थाम कर रखती है
सूरज की किरणें यहाँ खो जाती है
धूप छाँव का एक मायालोक है यह
बिखरे टूटे पत्ते .. हरा - पीला,
और भी कई रंग है
एक महक है ... सौंधी सी ?
या नम सीलन की ?
मिट्टी जितनी गिली है, उतनी सूखी भी
अचानक कहीं दल-दल मिलेंगे
जहाँ धसते ही जाते है धीरे-धीरे
हाँ, वह एक घना जंगल सा है
वह कुछ और नही ...
है साथ गुज़ारे वह यादों के लम्हें तेरे मेरे