...

7 views

#दमड़ी
#दमड़ी
भौतिक दैहिक
क्षणिक सुखों के खातिर
चमड़ी रगड़ करता है
गलत कामों में
काले कमाई की
दमड़ी रंग भरता है
लेने वालों के साथ साथ
देने वालों का भी तन-मन
भाव महंग करता है
क्षणभंगुर जिंदगी
युहीं व्यर्थ गंवाता है
अज्ञान अंधकार में
भटकते नर-मादा
तुच्छ जीवन जीते है
काम वासना कि
भूख मिटाने
चमड़ी रगड़ करता है
कुकर्म में मदमस्त
एक-दुसरे कि हवस में
दमड़ी रंग भरता है
रंगरंगीन मायाजाल में
भवबंधित अल्पतृप्त
भाव महंग करता है
चमड़ी के लिए दमड़ी
दमड़ी से रगड़ क्षणिक महंग
© आत्मेश्वर