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मुझे कमज़ोर ना समझना
मैं खयाल रखता हूं सबका
रिश्तों की डोर को तोड़ने से डरता हूं
अश्कों को अपने रोक नहीं पाता
यादों को कभी भूल नहीं पाता हूं
चाहे फ़िर बुरी हों या प्यारी

माफ़ी मांगने में आगे रहता हूं
अपनों का दर्द देख नहीं पाता
कोई बुरा भी कर बैठे कह बैठे
माफ़ कर ही देता हूं
ख़ुद टूटकर भी
औरों को जोड़ने का प्रयास करता हूं

पर ये सब आदतें देख
लोग समझते हैं मैं कमज़ोर हूं
जज़्बातों के वश में हूं
मेरे जज़्बातों का मज़ाक बनाते हैं
फ़िर भी मैं चुप रहता हूं
इसलिए नहीं कि मैं असल में कमज़ोर हूं
बल्कि इसलिए क्यूंकि मुझे
उनकी बातों से ज़रा भी फ़र्क नहीं पड़ता

मैं ख़ामोशी से मेहनत करता हूं
वक्त ये किसी दिन ख़ुद साबित कर देगा
और रही बात लोगो के तानों की
ये कभी बंद नहीं होते
किसीको कुछ दिक्कत किसीको कुछ
ये ड्रामा लगा रहता है
इसलिए दोस्त ख़ुदकी काबिलियत पर
कभी शक मत करना
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना

जब भी थम ना सके आंखों में आसूं
सबसे छुपकर अश्क बहा देना
ये कमज़ोरी की निशानी नहीं
आपके जज़्बातों का है गहना
नजरअंदाज करना बुरी बातों को
ख़ुद में ही तुम मगन रहना

© rõõh