...

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लाडली लड़वण ( Rajasthani geet )
नान्हा-नान्हा पगल्या में क्यूँ घालो सांकळ मोटी जी
लाडली लड़वण थारी...हाल जरा छोटी जी

ना समझ रिश्ता नाता री , ना परख परिवारा री
ना जाणू चूल्हा चौका ,ना करणी सेर गळियारा री
इण हाथ स्यूँ बणाई खिलौणा ना कदे दहीडो घोटी जी
लाडली लड़वण थारी...हाल जरा छोटी जी

माथे आळो बोरलो , बेवड़लो सो लागै
नाक वाळी नथली म्हारे भर - भर बटका भागै
खुला राखी केश हाल तई कदे ना गुंथवाई चोटी जी
लाडली लड़वण थारी...हाल जरा छोटी जी

बाळपणे में म्हारा क्यूँ दो घर कर रिया हो
एक पग पिहरिया में दूजो सासरिया धर रिया हो
काई करी म्हँ गलती बताओं काई थानै मारी सोटी जी
लाडली लड़वण थारी...हाल जरा छोटी जी
लाडली लड़वण थारी.................
© Kiran Kumawat