कुछ शेष नहीं लौटाने को
कुछ शेष नहीं
तुझे लौटाने को
बस राख बची है
दरिया में बहाने को,
समंदर भी कहीं कम
ना पड़ जाए
बिखेरे हुए मोती
उसमें छिपाने को,
साहस की टोकरी
कहीं...
तुझे लौटाने को
बस राख बची है
दरिया में बहाने को,
समंदर भी कहीं कम
ना पड़ जाए
बिखेरे हुए मोती
उसमें छिपाने को,
साहस की टोकरी
कहीं...