...

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डायरी के अनखुले पन्ने
एक बन्द किताब सी है मेरी कहानी
कैसे कोई पढ़ सकता है इसको जुबानी
मत रोको मुझे मत टोंको मुझे
कर लूं जीवन की कुछ मन मानी।।

अब तो साल भी बदल गया,
डायरी के पन्ने भी बदल गए
लिखने लगे लोग अपने मन की बातें
कब खुल कर उडूंगी बस इतनी ख्वाइशे।।

डायरी के अनखुले हैं पन्ने
कोई आकर खोल दो इन्हें
पढ़ लो आकर इनको जीभर कर
फिर छोड़ दु जहां को हंसते हंसते।।


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