खुद से शुरू होती ज़िंदगी,,
क्या हो अगर वो खुद के लिए लड़े?
वो तलाक की मांग करे?
तोड़कर बंधन सारे, खुद को आज़ाद करे?
सालों तक हर चोट को सीने में दबाकर
उसने हर ताना, हर इल्ज़ाम सहा,,
जिसे उसने अपना समझा,
वही उसे दुनिया के सामने दोषी ठहराने लगा,,
"वो मुझे समय नहीं देती,"
"वो मेरी जरूरतें नहीं समझती,"
उसी पति ने उसे बुरा बना दिया,,
पर वो चुप रही,
हर बात को अनसुना किया,,
सोचा, शायद सब ठीक हो जाए,,
पर जब उसने उसे छोड़ने की बात की,
तो उसने कहा,
"ले लो अपनी आज़ादी",,
मगर ये आज़ादी उस मर्द के अहंकार को लगी,,
"ये मुझे कैसे छोड़ सकती है?
ये तो मेरी है,
मुझे छोड़ने का हक इसका नहीं",,
उसने सोचा,
"ये...
वो तलाक की मांग करे?
तोड़कर बंधन सारे, खुद को आज़ाद करे?
सालों तक हर चोट को सीने में दबाकर
उसने हर ताना, हर इल्ज़ाम सहा,,
जिसे उसने अपना समझा,
वही उसे दुनिया के सामने दोषी ठहराने लगा,,
"वो मुझे समय नहीं देती,"
"वो मेरी जरूरतें नहीं समझती,"
उसी पति ने उसे बुरा बना दिया,,
पर वो चुप रही,
हर बात को अनसुना किया,,
सोचा, शायद सब ठीक हो जाए,,
पर जब उसने उसे छोड़ने की बात की,
तो उसने कहा,
"ले लो अपनी आज़ादी",,
मगर ये आज़ादी उस मर्द के अहंकार को लगी,,
"ये मुझे कैसे छोड़ सकती है?
ये तो मेरी है,
मुझे छोड़ने का हक इसका नहीं",,
उसने सोचा,
"ये...