...

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फिर वो खिचाव

एक दिन में खिड़की के पास बैठी थी,
गाने के धुन के साथ कुछ पुराने किस्से याद कर रही थी।
अचानक नजर जा टकरा वह नीले आसमान में ,
थम गयी वहीं बहते बादलों के बीच में।
फिर नजर आया हरे भरे बेल के पेड़ पर,
उसके डालि मानों आसमान को छूता हों ।
फिर ध्यान खिंच लिया वह पत्तो से भरा हुआ डालि ,
वह हावायो में एसे लहराते गया और मैं प्रकृति में खोती गई।
© Riha