मुसाफिर...
ढल रही अब शाम यहां,
मुश्किलों का दौर तमाम यहां।
मैं तो एक मुशाफिर हूं,
ढूंढ रहा अपना मुकाम यहां।।
चल पड़ा हूं अजनबी मंजिल ए तलाश में,
थम सा गया धूमिल रोशनी के आभास में।।
कौंध विचार मन में खटक आया,
शायद रास्ता मैं...
मुश्किलों का दौर तमाम यहां।
मैं तो एक मुशाफिर हूं,
ढूंढ रहा अपना मुकाम यहां।।
चल पड़ा हूं अजनबी मंजिल ए तलाश में,
थम सा गया धूमिल रोशनी के आभास में।।
कौंध विचार मन में खटक आया,
शायद रास्ता मैं...