मैं भी गीत लिखा करता हूँ।
मैं भी गीत लिखा करता हूँ,
नदियां और किनारों के।
मैं भी गीत लिखा करता हूँ,
मन के टूटे तारों के।
वो मन जिसको जोड़ लिया अब,
जनम-जनम तेरे मन से ।
प्यासा रहा है हर पल करके,
साझेदारी सावन से।
स्वप्न सुनहरे देखे तुम संग,
फूलों और बहारों के।
मैं भी गीत लिखा करता हूँ,
मन के टूटे तारों के।
जब भी मन को तनहाई ने,
किया अकेला जीवन में।
तेरी यादें,...