...

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क्या हो तुम!
अच्छा बताओ तो
क्या हो तुम

दिल हो दर्द हो
या दर्द–ए–दिल की दवा हो तुम

मेरा नाम लेते हो तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं
मुहब्बत हो या कोई नशा हो तुम

बता दूं तुम्हे या जाने दूं
टूट कर बिखरने के बाद मिलने वाली पनाह हो तुम

मेरे हर ग़ज़ल में नाम तुम्हारा आए
रातों में होने वाली बेचैनियो की वजह हो तुम

कहो किस नाम से पुकारूं तुम्हे
महबूब हो या मेरी दुआओं की सदा हो तुम

अच्छा बताओ तो
क्या हो तुम!



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