तुम्हें भूलना ही था
तुम भूल गई तुम्हें भूलना ही था,
जमाने की रंगत में झूलना ही था ||
मगर आजकल कौन जूझता है,
अबुझ पहेलियों को कौन बूझता है ||
मैं हवा का झोंका हूँ कहीं और निकल जाऊंगा,
या तो मिट जाऊंगा या किसी रूह में ढल जाऊंगा ||
गम इस बात का नहीं कि भुला दिया तुमने,
गम सिर्फ इस बात का है कि रुला दिया तुमने ||
खैर ये बताओ कैसी हो तुम आजकल मेरे बिना,
क्या तुमने सीख लिया है मेरे बिना यूँ तन्हा जीना ||
अगर ये बात है तो तुम्हारी जिंदगी से दूर चला जाऊंगा,
तुम कितना भी पुकारोगी मगर लौटकर न आऊंगा ||
© Amrit yadav
जमाने की रंगत में झूलना ही था ||
मगर आजकल कौन जूझता है,
अबुझ पहेलियों को कौन बूझता है ||
मैं हवा का झोंका हूँ कहीं और निकल जाऊंगा,
या तो मिट जाऊंगा या किसी रूह में ढल जाऊंगा ||
गम इस बात का नहीं कि भुला दिया तुमने,
गम सिर्फ इस बात का है कि रुला दिया तुमने ||
खैर ये बताओ कैसी हो तुम आजकल मेरे बिना,
क्या तुमने सीख लिया है मेरे बिना यूँ तन्हा जीना ||
अगर ये बात है तो तुम्हारी जिंदगी से दूर चला जाऊंगा,
तुम कितना भी पुकारोगी मगर लौटकर न आऊंगा ||
© Amrit yadav