...

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मेरी किताब
मैं दर्दों का भी हिसाब रखती हूं,
मिले हैं जो ज़ख्म तुझसे
उन ज़ख्मों को भी हरा रखती हूं,
ज़िंदगी, गर खुशी है तो
उन खुशियों का भी मैं किताब रखती हूं।

ये सबको क्या हुआ है
ये किसकी आवाज़ है, गली में!
कितना हुआ आज़ ये शोर है
निकले बाहर तो चर्चाओं से
सबकी आवाज़ गर्म है,
दो दिल मिल रहे थे चुपके - चुपके
उसी बात को लेकर
आज़ मेरी गली में इतना शोर है।

मैं तो हैरत में हूं
चाहते क्या लोग सभी
छोटी सी बातों का घटा इतना घनघोर है
मुहब्बत वाले ऐसे ही छुप के मिलते
वो कहां करते इतना शोर है
निक्कमें हो सभी के सभी
इतनी सी हुई बात
और मचा दिया मेरे नाम से
बाहर इतना शोर।

देखना अब मैं चुप ना बैठूंगी,
अपनी किताब में
तेरी सितम का
हरेक हिसाब - किताब लिखूंगी,
दिया जो भी मुझको
सूद समेत वापस कर दूंगी
मैं अपनी किताब में तेरा भी नाम लिखूंगी।

कुछ बिखरे पन्नें
कुछ समेटे हुए
दिल के जज़्बात
अधूरी ख्वाहिशें
तमन्नाओं के चराग
ख्वाहिशें - ए - मोहब्बत
अंधेरी रातों में
तारों से सजी रात
काले आसमां
और बोलता हुआ मौन
देखना आज़ मैं सब कुछ लिखूंगी
मैं अपनी किताब में, भागीदारी तेरी भी लिखूंगी।

तू जो मुझे डरायेगा
हवाला दे आ रहा तुफां
मुझको अपनी बातों से धबरायेगा
लोग मचायेंगे शोर
और जो तू मुझसे मिलने से कतरायेगा
मैं तेरे सारे डर और जज़्बात से
ज़िंदगी को ऐसे ही जी लूंगी
मैं अपनी किताब में तेरा नाम अजर - अमर कर दूंगी
मैं अपनी किताब में तेरा भी नाम लिखूंगी।।

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