छिपेविचार
मन के गुप्त कक्षों में,
पीछे छूटे विचारों की दुनिया छिपी है।
चुपचाप निगाहों और कानों से छिपा हुआ,
खुशी और आंसुओं का खजाना।
बंद दराज, जहाँ यादें बसती हैं,
एक दूसरे के बगल में, बारीकी से पहरा दिया जाता है।
डर, इच्छाएँ और अनकहे सपने,
ताकि निर्णय या तिरस्कार जाग न जाए।
कुंजी, एक नाजुक, मुड़ी हुई चीज़,
दिल की सबसे गहरी घंटी के साथ छिपी हुई है।
केवल एकांत...
पीछे छूटे विचारों की दुनिया छिपी है।
चुपचाप निगाहों और कानों से छिपा हुआ,
खुशी और आंसुओं का खजाना।
बंद दराज, जहाँ यादें बसती हैं,
एक दूसरे के बगल में, बारीकी से पहरा दिया जाता है।
डर, इच्छाएँ और अनकहे सपने,
ताकि निर्णय या तिरस्कार जाग न जाए।
कुंजी, एक नाजुक, मुड़ी हुई चीज़,
दिल की सबसे गहरी घंटी के साथ छिपी हुई है।
केवल एकांत...